वह लड़ी होगी |
वह बड़ी हिम्मत से लड़ी होगी |
जीने की अदम्य लालसा लिए |
मौत से इतने दिन लड़ते सबने देखा उसे |
अपने सम्मान को बचाने ले लिए |
उन दरिंदो से भी यक़ीनन खूब लड़ी होगी वह |
और जाते जाते एक चुनौती दे गई है हम सब को |
इंसानियत का हक़ अदा करने की चुनौती |
वह कह गई है |
हमसे कुछ सीखो तो लड़ाई मत छोड़ना |
जीने की लड़ाई |
सम्मान की लड़ाई |
आजादी से सांस लेने की लड़ाई |
पूरी ताकत भर विरोध में खड़े रहना दरिंदगी के |
हमने तो खूब संघर्ष किया काले चेहरों से |
अब तुम्हे मेरी कसम |
सिर्फ चेहरों तक उलझ के मत रह जाना |
उनके पीछे की पूरी कालिख को देख लेना ठीक से |
एक एक कोने से निकाल खींचना अँधेरी साजिशों को |
और मत बैठना चैन से |
सूरज के निकलने तक |
Monday, 31 December 2012
भारत पुत्री
Tuesday, 18 December 2012
सुदर्शन चक्र
फिर दुस्शासन अपनी पर है |
उसको यक़ीनन दुर्योधन का सहयोग है |
सुरक्षा के जिम्मेदार धूर्त चालबाज शकुनि ने |
शिखंडियों को लगाया है पहरों पर |
कर्तव्य से बढ़कर मर्यादा का बोझ लादे |
दुबके बैठे हैं चुपचाप विदुर द्रोण और भीष्म |
कुछ देखना ही नहीं चाहती |
पुत्र मोह से ग्रसित साम्राज्ञी गांधारी |
ऐसा ही होता है एक अंधे राजा के शासन में |
एक बार जो अत्याचार हो गया स्त्री पर |
वस्त्र दान कोई उपाय नहीं है नारी की व्यथा का |
उस पर हुये अत्याचार सिर्फ और सिर्फ गर्दनें उतारने से कम होंगे |
अफसोस यह |
कि भगवान कृष्ण भी आ जाएँ |
तो वे भी सुदर्शन नहीं चलाते अपना |
द्रौपदियों के नामों की लिस्ट बढ़ती जाती है रोज रोज |
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