| बज रहा है भोंपू दिन रात |
| विकास विकास विकास विकास |
| बह रहा है चारों ओर विकास |
| लाउड स्पीकरों से निकलकर |
| नया नया बना है |
| गरम होगा शायद |
| बटोर ही नहीं पा रही जनता |
| लपक के नालियों में जा बहता है |
| थोड़ा थोड़ा चाट लेते हैं कुत्ते |
| सुअरों की मौज है |
| ख़ूब भर रहे हैं पेट और घर |
| कोलाहल मचा रहे हैं |
| तालियाँ पीट रहे हैं |
| उत्सव मना रहे हैं जगह जगह |
| ख़ाली पेट आम आदमी |
| जलसे में खड़ा होके खींसे निपोरने को बाध्य है |
| नहीं तो कहीं ग़द्दार न क़रार कर दिया जाए मुल्क का |
Monday, 29 May 2017
विकास का भोंपू
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