Tuesday 26 January, 2010

जश्ने क़ैद

हम कैद मे हैं
हमेशा से कैद हैं हम
कारागृह हमारी नियति
जंजीरे हमारा भाग्य
ऊब गये एक जेल से तो दूसरी
ये नहीं तो वो जंजीर
जैसे रात सोते कोई करवट बदले
जंजीरे बदल जाती हैं
कैद जारी रहती है
हर क्रान्ति बदल डालती है जेलें
और बदल जाते हैं जेलर
आज़ादी की हर लड़ाई का परिणाम
तमाम भावुक लोगों की मौत
कुछेक चालाक लोगों के हाथ मे सत्ता
आम लोगों की हालत वही की वही
बल्कि अक्सर और बदतर
पहले हुआ करती थीं बहुत खूँरेज़
सत्ता बदलने की लड़ाइयाँ
हम अब ज़रा सभ्य हो गये
करते हैं हर पाँच साल में
और जल्दी भी कभी
बड़ी सी एक बेकार की कवायद
एक ही थैली के चट्टे बट्टे
मजे ले लेकर
बारी बारी से
करते हैं राज
पहले के लोगों से ज्यादा शातिर
ज्यादा होशियार ठहरे
राज़ी कर लिया है हमें
कि हम खुशी खुशी अपने ही हाथों
कुबूल करें
कभी इसकी हथकड़ी
तो कभी उसकी
कभी ये जेल तो कभी वो
बहरहाल कैद ज़ारी है बदस्तूर
और हाँ
इन खतरनाक और चालाक लोगों ने
चीजों की शक्ल बदल दी है
जेलों को अबके बनाया है महलनुमा
ज़ंजीरों को ज़ेवरात की शक्ल दी है

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