मैं ऐलान करता हूँ कि |
अब से रातों को नहीं डूबा करेगा सूरज |
कौवे साइकिलों से नदी पर तैरा करेंगें |
औरों के फटे में टांग नहीं घुसाया करेगा अमेरिका |
मर्द बच्चे आगे से औरतों को सताया नहीं करेंगे |
आग पीकर अमर हो रहेंगे हिजड़े |
कुत्ते पूँछ से तबला बजाया करेंगे |
मैं ये भी ऐलान करता हूँ कि |
घास की नोकों पर उगेंगे कटहल |
कुछ भी खा पी सकेंगे कम्प्यूटर |
छप्परों पर ऊँट खेलेंगे कबड्डी |
बिल्लियाँ खांसती रहेंगी निरंतर |
और ये भी कि |
सूअरों को हंसना माना होगा |
सर्वोत्तम आभूषण चना होगा |
क्यों? |
क्या कहते हैं आप? |
कि मेरा दिमाग फ़िर गया है ? |
लेकिन जब कुछ ऐसा ही अनर्गल |
किसी चुनावी सभा में मंच का भोंपू |
टांय टांय करता हुआ हर किस्म के रंगों में |
कितना कुछ वमन करता रहता है |
तब? |
Tuesday, 29 November 2011
हमें वोट दो
Monday, 14 November 2011
बच्चों से
माना वो आग उगलता है |
लेकिन वही रौशनी देता है |
सूरज से जलना मत सीखो |
सीखो सबको रोशन करना |
अच्छाई तो देखो शूलों की |
वे करते हैं सुरक्षा फूलों की |
काँटों से चुभना मत सीखो |
सीखो सबकी रक्षा करना |
हाँ बढ़कर उत्पात मचाता है |
हरियाली भी वही तो लाता है |
पानी से डुबाना मत सीखो |
सीखो सबकी प्यास बुझाना |
माना वो तूफ़ान उठाता है |
उसका साँसों से भी नाता है |
विध्वंस हवा से मत सीखो |
सीखो सबको जीवन देना |
जीवन हर पल अवसर देगा |
सभी राह आगे कर देगा |
बुराई किसी से मत लेना |
सबसे अच्छाई चुन
लेना (बाल दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ) |
Tuesday, 8 November 2011
कब तक हो
आह वो बचपन |
गर्मी की छुट्टियों की |
घमासान मस्ती भरे |
नानी के घर के दो महीने |
दिनभर शरारतें धमाचौकड़ी |
रात खुले आकाश तले छत पर |
भूतों की कहानियाँ |
आस पड़ोस के लोगों का मिलने आना |
अक्सर पूछते वे |
कब तक हो |
तीस जून की वापसी का रेल टिकट |
उतर आता आँखों में |
और मन में निराशा का एक पल |
बरसों बाद अब |
जब आता है जन्म दिन |
याद आ जाता है तीस जून का टिकट |
और जब कहते हैं लोग मुझसे |
जन्म दिन मुबारक हो |
मुझे लगता है कोई पूछ्ता हो जैसे |
कब तक हो |
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