| मैं ऐलान करता हूँ कि |
| अब से रातों को नहीं डूबा करेगा सूरज |
| कौवे साइकिलों से नदी पर तैरा करेंगें |
| औरों के फटे में टांग नहीं घुसाया करेगा अमेरिका |
| मर्द बच्चे आगे से औरतों को सताया नहीं करेंगे |
| आग पीकर अमर हो रहेंगे हिजड़े |
| कुत्ते पूँछ से तबला बजाया करेंगे |
| मैं ये भी ऐलान करता हूँ कि |
| घास की नोकों पर उगेंगे कटहल |
| कुछ भी खा पी सकेंगे कम्प्यूटर |
| छप्परों पर ऊँट खेलेंगे कबड्डी |
| बिल्लियाँ खांसती रहेंगी निरंतर |
| और ये भी कि |
| सूअरों को हंसना माना होगा |
| सर्वोत्तम आभूषण चना होगा |
| क्यों? |
| क्या कहते हैं आप? |
| कि मेरा दिमाग फ़िर गया है ? |
| लेकिन जब कुछ ऐसा ही अनर्गल |
| किसी चुनावी सभा में मंच का भोंपू |
| टांय टांय करता हुआ हर किस्म के रंगों में |
| कितना कुछ वमन करता रहता है |
| तब? |
Tuesday, 29 November 2011
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