| अभी तो शुरू किया है सालों हमें खाना है |
| मीलों हम आ गए मीलों हमें जाना है |
| एयर इन्डिया को धूल चटा दी |
| रेल की हमने पेल मचा दी |
| चोर डकैत सब सकते में हैं |
| लूट की ऐसी झड़ी लगा दी |
| हमें जरूरत क्या है दुश्मन मुल्कों की |
| ये देश हमारा है और हमीं को मिटाना है |
| मीलों हम आ गए मीलों हमें जाना है |
| हमने टूजी थ्रीजी खाया |
| कोयला खाया लोहा खाया |
| पीहर से हेलीकाप्टर आया |
| उसमे भी खाया खूब खिलाया |
| सुरसा जैसी भूख हमारी हमें तो खाना है |
| मीलों हम आ गए मीलों हमें जाना है |
Saturday, 18 May 2013
मीलों हमें जाना है
Friday, 17 May 2013
कभी तो
| और भी घना होगा अन्धेरा तो क्या |
| कभी तो कटेगी ये बियाबान रात |
| निकलेगा कभी तो यहाँ भी सूरज |
| कभी तो बस्तियों मे उजाला होगा |
| और भी कुछ होगा कफ़न के सिवा |
| पहनने को ज़िंदा लाशों के तन पर |
| अनगिनत मासूम इंसानों के बच्चे |
| रह गए आज सिर्फ कंकाल बन कर |
| कहीं घूरों पे कुत्तों से टुकड़ों की झडपें |
| अस्पतालों के बाहर दवाई को तड़पें |
| खाने को केवल जिन्हें गम हैं अभी |
| उनके भी हलकों में निवाला होगा |
| कभी तो बस्तियों मे उजाला होगा |
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