यूहीं कुंदन नहीं बनोगे
कड़ी आंच मे तपना होगा
उसकी आस छोड़नी होगी
तब जाकर कोई अपना होगा
सिर्फ सब्र से फल न मिलेगा
कुछ लगकर के करना होगा
मंज़िल हरदम दूर रहेगी
ख़ुद उठकर के चलना होगा
सूरज गया अँधेरा देकर
किसी दिए को जलना होगा
सपने सच तो हो जायेंगे
काम मगर कुछ करना होगा
स्वर्ग नही मिलता धरती पर
उसके लिए तो मरना होगा
तुम समझे वह अपना होगा
जागी आँख का सपना होगा
गिरकर भी जो बड़ा हो गया
देख के आओ झरना होगा
गलत राह पर नही किसी से
ख़ुद से मगर तो डरना होगा
जीवन खुशियों से भर जाएगा
प्रेम सभी से करना होगा
Friday, 24 August 2007
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This is one of the best poems I have read. I shared it with many friends and all of them thanked me for sharing it with them. Great work.
ReplyDeleteNeeraj
Jeevan Ki Mulbhut baat rakh di kadvee sacchai ke sath.
ReplyDeleteRealy very Good. Truth remains truth always and forever.
Arvind Awasthi
sahi kaha aapne, narayan narayan
ReplyDeleteमंज़िल हरदम दूर रहेगी
ReplyDeleteख़ुद उठकर के चलना होगा
क्या खूब लिखा है आपने! स्वागत आपका मेरे ब्लॉग पर भी.
very nice poem
ReplyDeleteभावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है ।
लिखते रहिए, लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है
very nice. waah! ब्लोगिंग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये. दूसरों को राह दिखाते रहिये. आगे बढ़ते रहिये, अपने साथ-साथ औरों को भी आगे बढाते रहिये. शुभकामनाएं.
ReplyDelete--
साथ ही आप मेरे ब्लोग्स पर सादर आमंत्रित हैं. धन्यवाद.
स्वर्ग नही मिलता धरती पर
ReplyDeleteउसके लिए तो मरना होगा
मन के अन्तर को कागज़ पर उतरने का प्रयास ही अन्तिम सफलता है
shabd ud jate hai. kya kahoon
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