Saturday 31 October, 2009

अपना अपना स्वभाव

गिरा दोगे आँख से
एक आँसू सा
धूल मे मिल जाऊँगा
मै फ़िर उठूँगा
सूर्य रश्मियों पर सवार
ले हवा का साथ
बनके बादल
बरस जाऊँगा
अनगिनत बूँदे
करेंगी तृप्त
तुम्हे ऒर सब को
फ़ेक दोगे
गुठली सा
किसी फ़ल की
दब रहूँगा धरती तले
मै फ़िर उठूँगा
बीज बन
समर्पित सर्व
धरा के गर्भ मे
गगनचुम्बी वृक्ष बन दे
डाल पत्ते फ़ूल
ऒर ढेर सारे फ़ल
तुम्हे ऒर सब को

1 comment:

  1. ऒर ढेर सारे फ़ल
    तुम्हे ऒर सब को .nice

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