Wednesday 4 November, 2009

ख़याल

एक सर्द रात
सुरमई चादर तले
छुपते छुपाते
हौले से सरकता
पूनम का चाँद है
या कोई
एक लचकती डाल
फ़ूलों की
बलखाती लहराती
सौ सौ फ़ितने जगाती
मौजे दरिया है
या कोई
एक आँगन के कोने मे
बेआवाज खामोश
कई कई रंग मे
कभी जलती कभी बुझती
पिघलती शम्मा है
या कोई
एक तूफ़ान सा
यहाँ सीने मे
सुबहो शाम
करवटें बदलता
धड़कता दिल है
या कोई
मेरा ख़याल है कि
ये तेरा ख़याल है

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