वादियों में बिखरी है सुकून की तरह |
मोहब्बतों में उतरी है जुनून की तरह |
पहली बारिश में सोंधी मिट्टी की महक |
चिडिया के घोसलें में बच्चों की चहक |
कफस के झरोखे से सुबह की आवाज़ |
सहमे से नन्हे परों की पहली परवाज़ |
आसमानों के हौसलों को चुनौती बनी |
एक छोटी बेनाम आवारा बदली |
कांपती शबनम की कोई बूँद सहमी |
खुशबू लुटाने को बेताब अधखिली कली |
बेआवाज़ खामोश कई कई रंगों में |
कभी जलती कभी बुझती पिघलती शमा है वो |
भादों की गीली रात बादलों के झुरमुट |
तारों से छुपता छुपाता पूनम का चन्दा है वो |
उलझी है रिश्तों में तिलिस्म की तरह |
शायर के खयालों के जिस्म की तरह |
पत्थरों पे खेलती पहाड़ी नदिया के जैसे |
हज़ार फितने जगाती मौजे दरिया के जैसे |
बीती सदियों के रंगीन किस्से |
आगे के वक्तों की रूमानी कहानी |
नींद है ख़्वाब है हौसला है वो |
वही है ज़िंदगी वही है दीवा...नी |
Wednesday, 8 January 2014
DIVA……आज की स्त्री
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment