भिखारी का कोई दीन धरम नहीं होता |
मंदिर मस्जिद गिरजा गुरुद्वारा या मदिरालय |
कहीं भी मांग लेता है |
उसकी कोई जात बिरादरी भी नहीं होती |
हिन्दू मुस्लिम इसाई या फिर अधर्मी |
किसी से भी मांग लेता है |
बाकी और लोग |
जो अपने को भिखारी नहीं समझते |
एक ही जगह जाते हैं मांगने |
हर बार जब भी कुछ चाहिए |
मिले न मिले |
मंदिर तो मंदिर मस्जिद तो मस्जिद |
और कुछ नहीं भी जाते कहीं मांगने |
जहाँ बैठे वहीं मांग की जप चलती रहती रहती है |
इस मामले में हम सब ज्यादातर लोग |
बहुत संकुचित भिखारी नहीं हैं क्या ? |
Saturday, 22 October 2016
छोटे बड़े भिखारी
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