हौले से कभी तेज़
इधर मुड़कर उधर मुड़कर
पहाड़ों से मैदानों में
दॊड़ती हुइ सागर को
एक नदी
अचानक रोक दी गई
एक बड़ा बाँध
अब!
ये नदी
भर देगी खुद से यहाँ
एक विशाल खूबसूरत सरोवर
इससे मिलेगा खेतों को
ज़रूरत भर पानी जो भरेंगे पेट
मिलेगी बिज़ली मिटेंगे अँधेरे
वैसे नही तो ऐसे
पा लेगी अपना मुकाम।
ये नदी दिखा देगी
सदियों से चले आ रहे
अबाधित दौड़कर
सागर से एक हो जाने के रिवाज़ के अलावा भी
कुछ और भी हश्र हो सकता है
और शायद बेहतर।
love you brother!
ReplyDeleteAap ne rula diya..
Ek baar phir.
Pankaj.