Saturday 20 March, 2010

वह

सौन्दर्य की क्या तस्वीर बनाये कोई
गुलाब की बनाई जा सकती है तस्वीर
प्रभात पर लिखी जा सकती है कविता
खिले चेहरे पर गाये जा सकते हैं गीत
लेकिन सौदर्य
वो तो है सिर्फ़ एहसास भर
यूँही है कुछ शिव भी और सत्य भी
किसी बच्चे की किलकारी मे सुनो उसे
किसी प्रेमी की आँख में झाँक देखो उसे
किसी सुबह की ताजी हवा में छुओ उसे
वह हर जगह है
लेकिन अगर उसे
न देखने न सुनने न छूने की
जिद ही पे उतारु हो कोई
तो वह फ़िक्र नहीं करता इसकी कतई
और वो तुम्हारी शर्त पर
तुम्हे हतप्रभ भी नहीं करता
वो नहीं है कोई मदारी
वह है होना
शुद्ध अस्तित्व

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