सौन्दर्य की क्या तस्वीर बनाये कोई
गुलाब की बनाई जा सकती है तस्वीर
प्रभात पर लिखी जा सकती है कविता
खिले चेहरे पर गाये जा सकते हैं गीत
लेकिन सौदर्य
वो तो है सिर्फ़ एहसास भर
यूँही है कुछ शिव भी और सत्य भी
किसी बच्चे की किलकारी मे सुनो उसे
किसी प्रेमी की आँख में झाँक देखो उसे
किसी सुबह की ताजी हवा में छुओ उसे
वह हर जगह है
लेकिन अगर उसे
न देखने न सुनने न छूने की
जिद ही पे उतारु हो कोई
तो वह फ़िक्र नहीं करता इसकी कतई
और वो तुम्हारी शर्त पर
तुम्हे हतप्रभ भी नहीं करता
वो नहीं है कोई मदारी
वह है होना
शुद्ध अस्तित्व
Saturday 20 March, 2010
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