ढेर सारे फ़ूल खिले
इस बार मेरे बगीचे मे
भीनी सी खुशबू बिखेरते
लेकिन कोई कैसे भला
अपने ही बगीचे मे
रह सकता है हर वक्त
सो
मैने उठाये खूब सारे फ़ूल
ऒर बाँट आया
गलियों चॊबारों
चॊराहों मैदानो
दुकानों मकानों
अब
मै जहाँ भी होता हूँ
भीनी भीनी खुशबू आती है
हर वक्त.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment