तमन्नाओं के पर कतर दो
आहों को बेअसर कर दो
चलो कर दो रवाना कारवाँ
फ़िर रहजनो को खबर दो
भूखमरी से बच रहे ढीठ
चलो अब उनको जहर दो
जिन्हें दीखता नहीं हुस्न
इश्क की उन्हें नज़र दो
आवाम की भी मानो तो
एक सियासत लचर दो
कन्धें नाजुक हैं लोगों के
हमे घर मे दफ़न कर दो
Saturday, 26 September 2009
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