रस्म निभाने आ पहुँचे
अपने ही जलाने आ पहुँचे
उनको बुलाने दोस्त मेरे
गैर के घर पे जा पहुँचे
मेरे मरने की मुझको
खबर सुनाने आ पहुँचे
मुझसे पहले मेरे चर्चे
उन के दर पे जा पहुँचे
छोड़ आये थे जो चेहरे
मुझे डराने आ पहुँचे
हम तौबा कर बैठे जब
पीने के बहाने आ पहुँचे
Friday, 18 September 2009
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