| डाल से टूटा हुआ |
| एक सूखा पता |
| हवाओं में लहराता हुआ |
| इधर उधर डोलता रहा |
| हमने देखा ! |
| विवश असहाय |
| नियति के पाश से बाध्य |
| हमने सोचा ! |
| वो पत्ता भी क्या |
| ऐसा ही सोचता है |
| स्वयं एवं अन्य के विषय के ? |
| या अहम् केवल |
| सनक हम मनुष्यों के मस्तिष्क की ही है! |
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