उस गाँव में
नहीं जानते थे लोग
किसी चिड़िया को
सिवाय कबूतर के
लग गया एक दिन
उनके हाथ
कहीं से उड़ता आया
एक रंग बिरंगा खूबसूरत तोता
परेशान हो गये लोग
देखा नहीं था कभी
इतना भद्दा कबूतर
खैर उसको ठीक करना
उसके ही हित मे था
और ज़रूरी भी
क्योंकि वे दयालु लोग थे
सो
काट दी गई उसकी कलगी
सीधी कर दी गई घिस कर उसकी चोंच
काट छाँट दिया गया परों को
और फ़िर रंग दिया गया
सफ़ेद रंग में उसे
अब चैन आया लोगों को
बन गया कबूतर
जाने कब से हम सब
अपने घरों में
शिक्षा संस्थानो में
बना रहे हैं हर रोज़
कबूतर
Thursday, 4 February 2010
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