| बंद करो इसे सीता कहना |
| ये नए समय की नारी है |
| अबला नहीं ये सबला है |
| और सब मर्दों पर भारी है |
| बन्दूक उठाकर हाथों में |
| सरहद पर जान गंवाती है |
| सब पर मालिक की तरह |
| दफ्तर में हुक्म चलाती है |
| खेल कूद के मैदानों में |
| इसने भी बाजी मारी है |
| ये नए समय की नारी है |
| हर जगह बराबर खड़ी हुई |
| दावा करती सिंहासन का |
| आन पड़े तो कर गुजरेगी |
| ये चीरहरण दुशासन का |
| बहुत दिनों से सहती आई |
| अब बन गई शिकारी है |
| ये नए समय की नारी है |
| कभी छेड़ ना देना इसको |
| ये कुछ भी कर सकती है |
| अगर जरूरत पड़ जाये तो |
| रावण को हर सकती है |
| दुष्टों इससे डर के रहना |
| अब ये रही नहीं बेचारी है |
| ये नए समय की नारी है |
| कुछ भी सहते जाने को |
| औरत अब लाचार नहीं है |
| ज़रा भी पीछे रहने को |
| ये बिलकुल तैयार नहीं है |
| अपना मालिक बनने की |
| अब इसकी पूरी तैयारी है |
| ये नए समय की नारी है |
Monday, 26 September 2011
बेटियाँ
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