Monday, 26 September 2011

बेटियाँ

बंद करो इसे सीता कहना 
ये नए समय की नारी है 
अबला नहीं ये सबला है
और सब मर्दों पर भारी है 
बन्दूक उठाकर हाथों में 
सरहद पर जान गंवाती है 
सब पर मालिक की तरह  
दफ्तर में हुक्म चलाती है 
खेल कूद के मैदानों में
इसने भी बाजी मारी है 
ये नए समय की नारी है 
हर जगह बराबर खड़ी हुई
दावा करती सिंहासन का
आन पड़े तो कर गुजरेगी 
ये चीरहरण दुशासन का
बहुत दिनों से सहती आई 
अब बन गई शिकारी है 
ये नए समय की नारी है 
कभी छेड़ ना देना इसको 
ये कुछ भी कर सकती है 
अगर जरूरत पड़ जाये तो
रावण को हर सकती है 
दुष्टों इससे डर के रहना 
अब ये रही नहीं बेचारी है 
ये नए समय की नारी है 
कुछ भी सहते जाने को
औरत अब लाचार नहीं है 
ज़रा भी पीछे रहने को 
ये बिलकुल तैयार नहीं है 
अपना मालिक बनने की 
अब इसकी पूरी तैयारी है 
ये नए समय की नारी है 

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