Thursday, 29 September 2011

नवरात्रि व्रत कथा

मर्द बच्चे भी आखिर क्या चीज हैं
ज़रा सोचो 
हाथों में दफ्तर का बैग 
या बाज़ार से सामन लाने का थैला लिये हुये 
निकलती हैं जब देवियाँ सड़क पर 
अपनी शालीनता के वाहन पर सवार 
कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ते मर्द बच्चे 
छेड़खानी करने से 
चीखती चिल्लाती सर पटकती रहती हैं घरों में 
शराब कबाब ज़रा कम कीजिये  
ज़रा पुण्य धरम कर लीजिए 
नहीं सुनाई पड़ता
जब तक कि वो 
एक हाथ में तलवार 
और दूसरी में लहू से भरा खप्पर लिए
सवार ही न हो जाये शेर पर  

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