Saturday 22 October, 2016

छोटे बड़े भिखारी

भिखारी का कोई दीन धरम नहीं होता 
मंदिर मस्जिद गिरजा गुरुद्वारा या मदिरालय 
कहीं भी मांग लेता है 
उसकी कोई जात बिरादरी भी नहीं होती
हिन्दू मुस्लिम इसाई या फिर अधर्मी 
किसी से भी मांग लेता है 
बाकी और लोग 
जो अपने को भिखारी नहीं समझते 
एक ही जगह जाते हैं मांगने 
हर बार जब भी कुछ चाहिए 
मिले न मिले 
मंदिर तो मंदिर मस्जिद तो मस्जिद 
और कुछ नहीं भी जाते कहीं मांगने 
जहाँ बैठे वहीं मांग की जप चलती रहती रहती है 
इस मामले में हम सब ज्यादातर लोग 
बहुत संकुचित भिखारी नहीं हैं क्या ?

Monday 18 July, 2016

ख़ूनी किताबें

किताबें हैं आजकल 
बम बनाना सीख सकते हैं लोग 
जिन्हें पढ़कर 
लोग हैं जो समझा सकते हैं 
पढ़कर उन्हीं किताबों से 
खुद अगर न समझो तो 
कैसे और कहाँ उन बमों से 
सबसे ज़्यादा खून मासूमों का बहे 
ऐसी तरकीबें भी बताते है ये लोग 
ग़ज़ब तो ये है 
कि क्यों किया जाना चाहिए ऐसा 
यह भी बता देते हैं ये लोग 
एक किताब पढ़कर 

Friday 5 February, 2016

दशहरा

चमचमाती बिजलियां 
बेतहाशा शोर 
बड़े बड़े लोहे के रथों पर सवार 
हथियार बंद लोगों का हुजूम 
भारी तमाशबीन भीड़ को चीर
जगह जगह घूमकर
कागजों के पुतले जलाते 
अट्टहास करते रहे 
बहुत सारे रावण 
साल दर साल