Thursday 4 December, 2008

संसार चक्र

कुछ जोड़ हुआ
कुछ टूट गया
कुछ पाया है
कुछ छूट गया
कुछ देख लिया
अनदेखा सा
जो दिखता था
वह दूर हुआ
कुछ बाहर बाहर
खो सा गया
कुछ भीतर भीतर
भर सा गया
वह दिखा नहीं
क्या खूब दिखा
जब दूर हुआ
तब मिल पाया
खुली आँख मे
सपना सा था
बन्द आँख मे
सब जग पाया

1 comment:

  1. खुली आँख मे
    सपना सा था
    बन्द आँख मे
    सब जग पाया
    bahut sunder

    ReplyDelete