| कुछ चुनी हुई आँधियाँ |
| कुछ चुनी हुई रातों को |
| कुछ रेगिस्तानो में |
| कहर ढाती रहीं |
| कुछ चालाक भँवरे |
| कुछ खूबसूरत बागों की |
| कुछ मीठी कलियों को |
| जबरन चूसते रहे |
| कुछ पेड़ों के नीचे |
| कुछ ऊँचे महलों मे |
| कुछ किये अनकिये |
| वादे टूटते रहे |
| कुछ बेजान झोपड़ों को |
| कभी दिन का सूरज |
| कभी रात का चाँद |
| बेदर्दी से जलाते रहे |
| चलती रही ज़िंदगी |
| मौसम आते जाते रहे |
Tuesday, 7 January 2014
जाहे बिधि राखे राम
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