कुछ आँसू बहें कुछ बात चले
कुछ बाती बनकर जल जाये
कुछ मोम बने दरिया निकले
कोइ याद बहे कोइ घूँघर बोले
कोइ राग कहे कोइ घूँघट खोले
कोइ गीत सुनाये सुबहों के
कोइ कहीं पपिहा बोले
कोइ लाये सन्देसा कोइ पाती बांचे
कोइ बुलाये कोइ सुलाये
कोइ लोरी गाये कोइ मन का बोले
कोइ आस जगाये कोइ प्यास बढाये
कोइ अपनो का सा अहसास कराये
कोइ छूले दिल के तार सभी
बज़ उठे कोइ सितार कभी
कोइ सपनो को पर दे दे
व्यथा कथा को घर दे दे
कोई सब हो जाने दे
कुछ न कहे बह जाने दे
सब दे दे
रब दे दे
और नही अब इन्तज़ार
अब दे दे
बस रब दे दे
Thursday 24 September, 2009
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