Tuesday, 29 November 2011

हमें वोट दो

मैं ऐलान करता हूँ कि
अब से रातों को नहीं डूबा करेगा सूरज 
कौवे साइकिलों से नदी पर तैरा करेंगें 
औरों के फटे में टांग नहीं घुसाया करेगा अमेरिका 
मर्द बच्चे आगे से औरतों को सताया नहीं करेंगे 
आग पीकर अमर हो रहेंगे हिजड़े 
कुत्ते पूँछ से तबला बजाया करेंगे 
मैं ये भी ऐलान करता हूँ कि 
घास की नोकों पर उगेंगे कटहल 
कुछ भी खा पी सकेंगे कम्प्यूटर 
छप्परों पर ऊँट खेलेंगे कबड्डी 
बिल्लियाँ खांसती रहेंगी निरंतर 
और ये भी कि 
सूअरों को हंसना माना होगा 
सर्वोत्तम आभूषण चना होगा 
क्यों?
क्या कहते हैं आप?
कि मेरा दिमाग फ़िर गया है ?
लेकिन जब कुछ ऐसा ही अनर्गल 
किसी चुनावी सभा में मंच का भोंपू 
टांय टांय करता हुआ हर किस्म के रंगों में
कितना कुछ वमन करता रहता है 
तब?

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