मैंने कागज़ पर लिखा |
आग |
वह जला नहीं |
पानी पानी का जाप किया |
बुझी नहीं प्यास |
पाक शास्त्र पढ डाले |
नहीं मिटी भूख |
कुछ तो गडबड है मुझमे |
कुछ को आती है कीमिया |
चुनाव होने को हैं |
फिर बजेंगे भोंपू |
फिर मिटेगी गरीबी |
फिर दूर होंगी समस्याएं |
फिर बनेगा देश खुशहाल |
फिर मिलेंगीं सबको रोटियां |
फिर सबके बगलों में चाँद होगा |
Thursday, 31 January 2013
इक बगल में चाँद
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