भयानक घुप्प अँधेरा सांय सांय हवा |
बिजली जैसी चमकती हर रंग की तेज रोशनियाँ |
अजीब अजीब आवाजें |
पी के शराब बोटियाँ नोंचते हड्डियाँ चबाते |
नाचते हैं रातों को भूत प्रेत और चुड़ैलें |
ऐसे डराते थे कुछ दुष्ट लफंगे औरों को |
बस्ती के ज़रा बाहर पेड़ों के एक छोटे से झुरमुट के बारे में |
जहाँ रात पीपल तले चिलम पीते हुये कर सकें वे सब हंसी ठट्ठा |
और लूट भी लें गाहे बगाहे मिल जाये कोई भूला भटका |
फूल गया शहर साफ़ हो गया पेड़ों का झुरमुट |
ईंट गारा धूल मिट्टी सरिया लकड़ी चौखट पत्थर |
इधर उधर ऊपर नीचे करते |
सुपरवाइजरों के इशारों पर नाचते |
गाली धमकी घुड़कियाँ खाते कामगार |
आरे वेल्डिंग मिक्सर कटिंग दिन रात |
अजीब अजीब तेज तेज आवाजें |
तेज तेज रोशनियाँ धूल के गुबार |
नाली के किनारे सुलगते चूल्हे रात गए |
हड्डी हड्डी हुई जाती थकी हारी औरतों का मांस अगर बचा हो |
तो नोंचते पव्वा भर पीकर |
डेढ़ पसली लिए प्रेतों जैसे दिखते मरद उनके |
बन जायेगी जब ये बिल्डिंग खूब बड़ी और ऊँची |
सुना है खुलेगा इसमें एक शानदार डिस्क |
नृत्य बोटियाँ शराब पार्टी ड्रग्स |
अजीब अजीब आवाजें |
रंग रंग की तेज रोशनियाँ |
देर रात गए अंधेरों में |
Friday, 9 December 2011
भूत प्रेत और चुड़ैलें
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment