Thursday, 22 December 2011

अकथ कहानी बाबू की

उनसे तो ज़रा पूछिये जिनने समझाया है
पढ़ लिख के आखिर उनने क्या पाया है 
कटिया डाल बिना मीटर बिजली चलाई 
कुलियों की जेब गरम कर बर्थ हथियाई 
नंबर बढ़वा के बेटे को डाक्टरी पढ़वाई 
घर बैठे बेटी को एमे की डिग्री दिलवाई 
दलित कोटे का पंप अपने घर में लगाके 
अन्ना की रैली में जाकर शोर मचाया है 
उनसे तो ज़रा पूछिये जिनने समझाया है
टूर पे सेकण्ड से जाके फर्स्ट का बिल और 
बुआ के घर पे रह के टीए डीये बनाया है 
अस्पतालों से गरीबों की दवा बेच खाई है 
गरीबों के हिस्से का दाल चावल चुराया है  
रसीदों बिना नगद रुपयों से सौदे कियें हैं 
बिस्तरों और लाकरों में सोना छुपाया है 
उनसे तो ज़रा पूछिये जिनने समझाया है
दो कौड़ी के नेता से चार जूते खाए हैं 
चपरासी और ड्राइवर पे रोब जमाया है
भांजे को उम्र कैद की सजा से बचाया है 
और एक्सपोर्ट का लाइसेंस दिलवाया है 
बच्चों का दलिया भैंसों का चारा खा गए 
खेती की जमीन पर बंगला बनवाया है 
उनसे तो ज़रा पूछिये जिनने समझाया है

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