काल करे सो आज कर.... |
सेठ जी ने ये वचन तख्ती पर लिखवाया |
और फ़िर इसको अपने दफ्तर में टंगवाया |
उनने सोचा था कुछ फर्क पड़ेगा |
इंसान थोड़ा जल्दी काम करेगा |
अगले ही दिन सुबह धमाल हो गया |
सारे दफ्तर का बुरा हाल हो गया |
सभी के मन में कुछ न कुछ चल रहा था |
भीतर ही भीतर बहुत कुछ पल रहा था |
पढते ही सबको ये महा वचन भा गया |
जो मन में था वो करने का समय आ गया |
सोया हुआ दरबान जाग गया |
और तिजोरी उठाकर भाग गया |
चपरासी को बदले का मौका मिल गया |
वो जूता लेके अफसरों पे पिल गया |
क्लर्क ले भागा टाइपिस्ट को लेकर |
पिटने से पहले खिसक लिया मैनेजर |
जनता ने सेठ की खूब करी पिटाई |
डाइरेक्टर ने उड़ाली उनकी लुगाई |
मुफ्त तमाशा देख रहे नौकर |
काल करे सो आज कर.... |
Friday, 9 September 2011
बहुरि करैगो कब
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