Friday, 9 September 2011

बहुरि करैगो कब

काल करे सो आज कर....
सेठ जी ने ये वचन तख्ती पर लिखवाया
और फ़िर इसको अपने दफ्तर में टंगवाया 
उनने सोचा था कुछ फर्क पड़ेगा 
इंसान थोड़ा जल्दी काम करेगा 
अगले ही दिन सुबह धमाल हो गया 
सारे दफ्तर का बुरा हाल हो गया 
सभी के मन में कुछ न कुछ चल रहा था
भीतर ही भीतर बहुत कुछ पल रहा था
पढते ही सबको ये महा वचन भा गया 
जो मन में था वो करने का समय आ गया 
सोया हुआ दरबान जाग गया 
और तिजोरी उठाकर भाग गया 
चपरासी को बदले का मौका मिल गया 
वो जूता लेके अफसरों  पे पिल गया 
क्लर्क ले भागा टाइपिस्ट को लेकर 
पिटने से पहले खिसक लिया मैनेजर 
जनता ने सेठ की खूब करी पिटाई
डाइरेक्टर ने उड़ाली उनकी लुगाई 
मुफ्त तमाशा देख रहे नौकर 
काल करे सो आज कर....

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