| गाँव को देखो कभी दिल्ली की नजर से |
| बेहतर इनको पाओगे किसी भी शहर से |
| भूखा वहाँ अब एक भी इंसान नहीं है |
| गरीबी से आज कोई परेशान नहीं है |
| बीड़ी दारु की एक भी दूकान नहीं है |
| जान खुद की लेता किसान नहीं है |
| ऐसा हमने जाना है टीवी की खबर से |
| गाँव को देखो कभी दिल्ली की नजर से |
| मिलता है सबको पीने को साफ़ पानी |
| मजबूरी अब नहीं है रोटी सूखी खानी |
| स्कूल पढ़ने जाती है गुड़िया सयानी |
| तंदुरुस्त हैं बच्चे बूढ़े स्वस्थ हैं नानी |
| कोई नहीं मरता है यहाँ शीत लहर से |
| गाँव को देखो कभी दिल्ली की नजर से |
| लहलहाती फसलें हैं गोदाम भरे हैं |
| लदे पेड़ फल फूलों से मैदान हरे हैं |
| बिजली सडक स्कूल अस्पताल है |
| गाँव गाँव इस देश का खुशहाल है |
| औरतें महफूज़ हैं अब जोर जबर से |
| गाँव को देखो कभी दिल्ली की नजर से |
Friday, 2 September 2011
दिल्ली की नज़र से
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