मत देखो कितना शिक्षा का भण्डार भरा है |
मत देखो कितना दौलत का अम्बार लगा है |
इन चीजों से कभी भला कौन बड़ा होता है |
मगर देखना दुनिया को कोई क्या देता है |
मत देखो कितने व्रत उपवास कोई करता है |
मत देखो नमाज में कोई कितना झुकता है |
मत देखो पत्थर पर कितना माथा घिसता है |
मगर देखना कोई कितने हृदयों में बसता है |
मानवता का इतिहास हमारा ये बतलाता है |
अपने कृत्यों से ही कोई महान कहलाता है |
मत देखो पीछे कितनी वो भीड़ जुटा लेता है |
नायक तो खुद को सब के लिए लुटा देता है |
दो कृष्ण नहीं होते जग में दो राम नहीं होते हैं |
ईसा और गौतम कईयों के नाम नहीं होते हैं |
मत देखो वो किस महापुरुष जैसा दिखता है |
देखो तो निजता में कोई कितना खिलता है |
Friday, 30 September 2011
एक गीत
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