हर चीज़ में हर जगह हर बात पर हर समय
सही और गलत के लेबल लगाते लोग
न मालूम है न मतलब है न ज़रूरत है फ़िर भी
वक्त बेवक्त ज्ञान की गंगा बहाते लोग
प्रेम देने को तत्पर किस्तों में कभी थोक में भी
नेकी कर बना पूँजी उसे लॉकर में रखते हैं
मौके पे बिना चूके उसको भुनाते लोग
बालिश्त भर गहरे पानी में तैरते छपछपाते
अपने बुलंद हौसलों पर इतराते लोग
सही और गलत के लेबल लगाते लोग
न मालूम है न मतलब है न ज़रूरत है फ़िर भी
वक्त बेवक्त ज्ञान की गंगा बहाते लोग
प्रेम देने को तत्पर किस्तों में कभी थोक में भी
जो नहीं पास रत्ती भर उसको लुटाते लोग
नेकी कर बना पूँजी उसे लॉकर में रखते हैं
मौके पे बिना चूके उसको भुनाते लोग
बालिश्त भर गहरे पानी में तैरते छपछपाते
अपने बुलंद हौसलों पर इतराते लोग
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