Wednesday, 24 August 2011

मीडिया

ये वो शख्स है बेहया 
जब पड़ती है इसके पिछवाड़े 
तो सोहरा लेता है कोने में जा के 
और फ़िर खीसें निपोर के
डुगडुगी बजाये लग जाता है वहीं
देखो देखो दिल्ली का कुतुबमीनार देखो ....
बरेली का मीनाबाज़ार देखो.....
बम्बई शहर की बहार देखो.....
पार्लियामेंट की जूतमपैजार देखो.....
तमाशा देखो.....
पैसा फेंको....

1 comment:

  1. क्या ब्बात है...
    बहुत करारा....
    और यह तो
    “मै बादल बुलाता हूँ, बिजली चमकाता हूँ.
    आवाज करती बूँदों से, खुद ही डर जाता हूँ.”
    पंक्तियाँ हैं? या शायद हर इंसान का सच....?
    बहुत खूबसूरत....
    सादर बधाई...

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