रोज सुबह आँख खोलते ही |
आसमान की
चुनौती |
उत्साहित करती
है |
उसकी विस्तृत नीरवता
पुकारती है |
आगे आगे भागते |
पीछे मुड़कर
मुस्कराते हुए |
हाथ के इशारे से साथ
बुलाते |
किसी बचपन के दोस्त
सा |
एक शुभ्र बादल का
टुकड़ा |
कहता है चले आओ |
डैने खोलता हूँ |
पर तोलता हूँ |
निकलना है अनंत की
यात्रा पर |
पेट में कुछ तो दाना
चाहिए |
खोज में निकलता
हूँ |
बीत जाता है दिन उसी
में |
लौटने लगते हैं
परिन्दे |
गहराने लगती है
रात |
डैने समेट लेता
हूँ |
आँखों में नींद के
साथ साथ |
उतरने लगता है |
सुबह उठकर |
एक और प्रयत्न का
स्वप्न |
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