Thursday, 20 September 2012

फुहारें

जगह दे देती है सड़क
पानी को बारिश में 
बैठ जाती है यहाँ वहाँ 
उखड़े पत्थर बजरी 
छोटे छोटे ताल तलैया 
जलभराव और चलना मुश्किल गाड़ियों का 
लगा जैसे कह रही है सड़क 
ज़रा ठहरो भी 
ये हर वक्त की भागम भाग क्यों 
गाड़ियों को रहने दो भीतर 
पुराने अखबार निकालो 
नावें बनाई जायें 
भूल गए हो तो सीख लो बच्चों से 
बरामदे में बैठो 
फुहारों के साथ मजा लो पकौड़ियों का 
चाय पियो तसल्ली से 
साथ हो प्रिय तो पहलू नशीं रहो कुछ देर 
न हो साथ तो तसव्वुरे जानाँ की फुरसत निकालो 
बूँदों के संग नाचो गुनगुनाओ 
तनिक भीग भी लो
या यूँही बिता दोगे जिंदगी 
सूखी सूखी सी 

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