| जगह दे देती है सड़क |
| पानी को बारिश में |
| बैठ जाती है यहाँ वहाँ |
| उखड़े पत्थर बजरी |
| छोटे छोटे ताल तलैया |
| जलभराव और चलना मुश्किल गाड़ियों का |
| लगा जैसे कह रही है सड़क |
| ज़रा ठहरो भी |
| ये हर वक्त की भागम भाग क्यों |
| गाड़ियों को रहने दो भीतर |
| पुराने अखबार निकालो |
| नावें बनाई जायें |
| भूल गए हो तो सीख लो बच्चों से |
| बरामदे में बैठो |
| फुहारों के साथ मजा लो पकौड़ियों का |
| चाय पियो तसल्ली से |
| साथ हो प्रिय तो पहलू नशीं रहो कुछ देर |
| न हो साथ तो तसव्वुरे जानाँ की फुरसत निकालो |
| बूँदों के संग नाचो गुनगुनाओ |
| तनिक भीग भी लो |
| या यूँही बिता दोगे जिंदगी |
| सूखी सूखी सी |
Thursday, 20 September 2012
फुहारें
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