| जाते जाते सांझ ने |
| आसमान के ऊपर से खींच दी चादर |
| कुछ गहरे बादल |
| व्यस्त हो गए तारों से खेलने में |
| कभी कोई टूटता सितारा |
| खींच चाँदी की लकीर गुम हो जाता |
| बेहद कमजोर हँसुली सा खूबसूरत चाँद |
| नीचे इधर उधर टिमटिमाती रोशनियाँ |
| घने अँधेरों में उकेरा गया एक |
| बेहद हसीन मंजर |
| बस ज़रा सी देर में |
| सुबह फाड़ डालेगी अँधेरे का ये कैनवास |
| और तमाम चिरागों के क़त्ल का लहू |
| अपने दामन में समेटे |
| बेशर्मों की तरह |
| मंडराता चमकता फिरेगा |
| बदमाश सूरज |
Friday, 7 September 2012
खूबसूरत अँधेरे
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