Friday, 5 March 2010

रचना

घुटन तड़प छ्टपटाहट
बेचैनी उदासी घबराहट
कितने बौने शब्द
कितनी बड़ी अनुभूतियाँ
आग जलाती है
लेकिन आग शब्द में
नहीं कोई तपिश
पानी पानी लिखते रहने
या रटते रहने से
नहीं बुझती है प्यास
नहीं शब्दों मे सत्य
वरन उसमे
जिसकी खबर लाते हैं शब्द
सिर्फ़ खबर भर उस पार की
क्या है फ़िर
और क्यों है
लिखने की कोशिश
मात्र बेचैनी
या वक्तव्य भर का सुख
गर्भ अनुभूति का
अमरत्व की पिपाशा
होने का बढ़ के छलकना
या कुछ और
जो भी है खैर
जब तक है
लिखे बिना
कोई गुजारा नहीं

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