skip to main
|
skip to sidebar
तत्वमसि
अनुभूति सत्य है, अभिव्यक्ति मिथ्या.
Saturday, 13 March 2010
विमुख
तुम्हारे हित मे है कि तुम
पीठ कर लो मेरी ओर
सूरज को नहीं देखोगे
तभी तो देख पाओगे
जो दिखता है
उसके होने पर
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मेरे बारे मे (जो मैंने जाना)
महेंद्र मिश्र
नौएडा, उ प्र, India
मै बादल बुलाता हूँ, बिजली चमकाता हूँ. आवाज करती बूँदों से, खुद ही डर जाता हूँ.
View my complete profile
मेरी अन्य कवितायें
►
2020
(1)
►
January
(1)
►
2019
(1)
►
December
(1)
►
2017
(5)
►
November
(3)
►
May
(1)
►
March
(1)
►
2016
(3)
►
October
(1)
►
July
(1)
►
February
(1)
►
2014
(12)
►
December
(1)
►
July
(2)
►
May
(1)
►
April
(1)
►
March
(5)
►
January
(2)
►
2013
(11)
►
October
(2)
►
July
(1)
►
May
(2)
►
April
(2)
►
February
(1)
►
January
(3)
►
2012
(62)
►
December
(2)
►
November
(5)
►
October
(3)
►
September
(7)
►
August
(20)
►
July
(18)
►
June
(1)
►
May
(1)
►
February
(5)
►
2011
(46)
►
December
(5)
►
November
(3)
►
October
(4)
►
September
(11)
►
August
(6)
►
July
(7)
►
June
(2)
►
May
(2)
►
April
(4)
►
March
(2)
▼
2010
(121)
►
December
(1)
►
August
(6)
►
July
(16)
►
June
(5)
►
May
(5)
►
April
(12)
▼
March
(25)
रस्सी
इतिहास
दोनो हाथ उलीचिये
राख का ढेर
जो है जैसा है
तहजीब
महाभारत की असली कथा
मेरे पापा
जैसा चाहो
वह
भविष्य वाणी
जीवन एक सम्भावना
एट्किन्स डाइट
निर्णय
जंजीरें
विमुख
असंगति
मा फ़लेषु कदाचन
मेरे बिना
यह भी गुजर जायेगा
भारत रत्न
रचना
लंगोटिया यार
स्वान्त: सुखाय
प्रभु की शिक्षायें (बुरा न मानो होली है)
►
February
(20)
►
January
(31)
►
2009
(66)
►
December
(25)
►
November
(20)
►
October
(11)
►
September
(7)
►
August
(3)
►
2008
(10)
►
December
(4)
►
November
(5)
►
October
(1)
►
2007
(1)
►
August
(1)
No comments:
Post a Comment