Thursday, 18 March 2010

जीवन एक सम्भावना

कंकड़ जैसा ही दिखता है
अभी तो बीज
लेकिन मिट्टी तोड़ेगी अहंकारी आवरण
पानी की प्राणदायिनी शक्ति
सूरज की गर्मी
हवाओं के थपेड़े
और आकाश का विस्तार
ले आयेंगे अंतर
और फ़िर तब
सिर्फ़ तभी
फ़र्क होगा
बीज और कंकड़ में
जीवन मिलता है इसी तरह हमे
एक अवसर की तरह
और साधन की तरह पंच तत्व
सम्यक उपयोग से इनके
हजारों फ़ूल लगते हैं जब
और सुवास होती है हमारे जीवन मे
तभी पहचान होती है
कि जो मिला था हमें
वो बीज था
नहीं तो कंकड़

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