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तत्वमसि
अनुभूति सत्य है, अभिव्यक्ति मिथ्या.
Thursday, 1 April 2010
काँटे
तुम जब कहते हो मुझे
कुरूप और कठोर
काँटे सा
चुभता है
और झरती जाती हैं
मेरी पँखुडियाँ.
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मेरे बारे मे (जो मैंने जाना)
महेंद्र मिश्र
नौएडा, उ प्र, India
मै बादल बुलाता हूँ, बिजली चमकाता हूँ. आवाज करती बूँदों से, खुद ही डर जाता हूँ.
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