ज़िन्दगी की तलाश में
गुजर गई एक ज़िन्दगी
एक ज़िन्दगी गुजर गई ख्वाब मे
सुबह और शाम के भागदौड़ मे
गुजर रही है एक और ज़िन्दगी
कल कुछ हो जाये शायद
इस इन्तजार में हर रोज़
गुजर जाती है एक ज़िन्दगी
एक ज़िन्दगी गुजर रही है
अपनो की ज़िन्दगी की सोच मे
जाने कैसी होगी वह ज़िन्दगी
जो मै जीना चाहता हूँ
गुजारना नहीं
सोचता हूँ कि
वह ज़िन्दगी अब अगर
अकस्मात मिल भी जाये
तो उसे जीने के लिये
कहाँ से लाउँगा
एक और ज़िन्दगी !
(१ जून २००४)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment