आधुनिकता के खंडहरों मे
बदहवास फ़िरते इतिहास की
मर्मान्तक चीखें
आंकड़ों के कूड़ेदान मे
सड़ते सत्यों के ढेर से
तथ्यों की चिन्दियां बीनते समूह
ज़िन्दगी के कब्रिस्तान मे
नाचते सरोकारों के प्रेत
हवस की तपती रेत पर
प्रसव को मजबूर योग्यतायें
प्रेरणाओं को निगलती
मुँह बाये
महत्वाकांक्षाओं की सुरसा
शिष्टता की ओढ़नियों मे छुपी
बजबजाती पाशविकता
दिशाहीन राहों पर
लंगड़ाता भ्रमित कुंठित वर्तमान
रिश्तों के सच का कुल जमा मापदण्ड
नून तेल लकड़ी के ठीकरे
मर्यादाओं के पाखण्ड तले
नंगो की छातियों पर सवार
अट्टहास करते बौने न्याय तंत्र
शासन प्रणाली की ओट मे
भूखी मासूमियत के कंधों पर खड़े
अपनी उँचाइयों का दम्भ भरते
मनुष्यता की लाशें नोचते जनतान्त्रिक गिद्ध
क्षण भर में सहस्त्र बार
धरणी का विनाश करने को व्यग्र
वसुधा की कुटुंब थैली मे फ़लते फ़ूलते
प्रजातन्त्र और साम्यवाद के चट्टे बट्टे
हवस अनाचार मूर्खता और दर्प
की बीनो पर डोलते
अनैतिक तन्त्र का अलौकिक लोक
यह सब है कुल जमा परिणाम
सामाजिक मनुष्यता के विकास क्रम मे
हुई प्रगति का
या कहें दुर्गति का
यह हमारी सभ्यता है
आश्चर्य
फ़िर क्या है असभ्यता
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment