आदमी हैं आखिर
हम नहीं करेंगे बलात्कार
तो कौन करेगा भला
न हो अगर
भीड़ भाड़ मे लड़कियों से छेड़ छाड़
तो हम पुरुषों को शोभा देगा क्या
पीट सकते हैं हम
तो पीटेंगे ही अपनी स्त्रियों को
मर्द बच्चे जो ठहरे
और फ़िर मर्यादा भी तो सिखानी है
उल्टे सीधे कपड़े पहने
देर रात यहाँ वहाँ घूमना
कोई ऊँच नीच हो जाये भला तो
बदनामी तो आखिर हमारी होगी ना
समाज के ठेकेदार जो ठहरे
मर्दों से ताल मे ताल मिलाकर
हंसी ठट्ठा करते शरम भी नहीं आती इनको
तो भला सख्ती तो करनी ही पड़ेगी
अब ये समझ लो भइया
हम आदमियों के इन्ही प्रयासों से
और इतनी मेहनत मशक्कत करने पर ही
बची है नाक समाज की वरना
बेड़ा गर्क ही कर दिया होता
इन जाहिल बेशरम कुलटाओं ने
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