ईंटे जोड़ता था जब मैने पूछा क्या कर रहे हो
मकान बना रहा हूँ उसने कहा था
क्या करोगे इसका फ़िर मेरा सवाल
रहूँगा इसमे वो बोला
दरवाजे लगाता था कभी
कभी झरोखे बिठाता था
और हर बार जवाब उसका वही
मकान बना रहा हूँ
जब बन गया मकान तो देखा मैने
न तो वो दीवालों मे रह रहा था
न दरवाजो या खिड़कियों मे ही
रहता था वो आकाश मे ही
हमेशा की तरह
हरेक की तरह
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