मूर्तिकार
शिला खण्ड को
काटता छाँटता तराशता
सावधानी और कुशलता से
प्रकट करता एक सुन्दर मूर्ति
जो छिपी ही हुई थी अब तक पत्थर मे
वो तो सिर्फ़ उघाड़ भर देता है बस
निकाल अलग कर देता है कुछ
अतिरिक्त अनावश्यक
जानता है वो
निकाल फ़ेंक देना
कहाँ से और कितना
तलाश है
मुझ पाषाण को भी
एक दक्ष शिल्पी की
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