Tuesday 9 February, 2010

बैनीआहपीनाला (VIBGYOR)

बैंगनी से लाल तक
जो रंग हम देख पाते हैं
उसके अलावा भी होता है प्रकाश
छोटी और बड़ी वेवलेन्थ
जो फ़ैली है दूर दूर तक
इन्फ़्रा रेड की ओर
अल्ट्रा वॉयलेट की ओर
इन निम्नतर और उच्चतर उर्जा तरंगो के प्रति
हम हैं बिलकुल अन्धे
बहुत ज़रा से एक स्पेक्ट्रम के अलावा
बाकी जो ढेर सारा प्रकाश हमें नहीं दिखता
क्या उसी प्रकाश स्पेक्ट्रम में
घटित होते हैं
शोषण हिंसा घृणा कुत्सित व्यभिचार
धड़ल्ले से ज़ारी हैं
कालाबाजारी रिश्वतखोरी अपहरण बलात्कार
प्रदूषित होते जाते हैं
सागर हिमशिखर हवायें नदियाँ
और मानव मस्तिष्क
लुप्त होते जाते हैं
दुर्लभ जीव जन्तु वनस्पतियाँ
और संस्कार
यकीनन वहीं
उसी प्रकाश स्पेक्ट्रम में
अन्यथा हम देख न लेते
सामूहिक आत्मघात की ओर
बढ़ती जाती मनुष्यता !

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