यदा यदा हि धर्मस्य
उसने कहा था
वह आयेगा
जब जब धर्म की हानि होगी
वह मुझे दिखा नहीं इन दिनो
मै भरोसा रखता हूँ
उसके आस्वासन पर
या तो मै पहचानता नहीं उसे
या फ़िर
अभी और हानि होनी है धर्म की
दौड़
चोटी की दौड़ व्यर्थ है
मै जानता हूँ मगर
दौड़ जारी है
क्योंकि
मैं वहाँ से कहूँ
तो मानो शायद
Friday, 13 November 2009
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