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तत्वमसि
अनुभूति सत्य है, अभिव्यक्ति मिथ्या.
Sunday, 29 November 2009
पथ प्रदर्शक
चेहरों मे ही
उलझकर
जीवन की राह
तय करने वालों
नहीं पहचानते
देखकर पीठ
अभी अगर तुम
तो कैसे करोगे
अनुगमन
उसका
वो तो चल रहा होगा
तुमसे आगे
और देखता भी होगा
आगे को ही
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मेरे बारे मे (जो मैंने जाना)
महेंद्र मिश्र
नौएडा, उ प्र, India
मै बादल बुलाता हूँ, बिजली चमकाता हूँ. आवाज करती बूँदों से, खुद ही डर जाता हूँ.
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