अधर्मान्धता
वो पढ़ता है एक किताब
और हम दूसरी
वो झुकता है एक जगह
और हम दूसरी
आओ चलो
मार डालें उसे
मानवता
मै मानवतावादी हूँ
देता प्रेम
जो मिली होती
मानवता कहीं
पर क्या करूँ
मिले सिर्फ़ मानव
Monday, 16 November 2009
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