बैठा है सूखे खेत में मुंह उठाये
ताकते टुकुर टुकुर ऊपर
बादल तो नहीं अलबत्ता
नेता जरूर घूम रहें हैं दौरे पर
दूर पूरब में सुना है पानी ही पानी
भर गएँ हैं घर दुवार
उफान पे है दिबांग
विकट समस्या है
गरीब गुरबा बड़ा परेशान
और यहाँ खेती सब हुई जा रही है बेकार
पानी ही नहीं है
बड़े बड़े आदमी हैं दिल्ली में
साहब मंत्री नेता लोग सब
काहे नहीं भर के चुल्लू आसाम से
उर्रा देते हैं महाराष्ट्र और यम पी में
और फिर दुई चार बादल फूंक मार के
उड़ा लावें बम्बई से दिल्ली तक
बड़े लोग हैं और बहुत सारे भी हैं
एक एक अंजुरी भी भी डाल दें
तो सबका काम हो जाए
क्या कहते हो नहीं कर सकते !
क्यों ?
इत्ते बड़े हाथ पैर नहीं है
गरीब गवारों और किसानो की मदद के लिए !
खाली पेट ही बड़ा है बस
ताकते टुकुर टुकुर ऊपर
बादल तो नहीं अलबत्ता
नेता जरूर घूम रहें हैं दौरे पर
दूर पूरब में सुना है पानी ही पानी
भर गएँ हैं घर दुवार
उफान पे है दिबांग
विकट समस्या है
गरीब गुरबा बड़ा परेशान
और यहाँ खेती सब हुई जा रही है बेकार
पानी ही नहीं है
बड़े बड़े आदमी हैं दिल्ली में
साहब मंत्री नेता लोग सब
काहे नहीं भर के चुल्लू आसाम से
उर्रा देते हैं महाराष्ट्र और यम पी में
और फिर दुई चार बादल फूंक मार के
उड़ा लावें बम्बई से दिल्ली तक
बड़े लोग हैं और बहुत सारे भी हैं
एक एक अंजुरी भी भी डाल दें
तो सबका काम हो जाए
क्या कहते हो नहीं कर सकते !
क्यों ?
इत्ते बड़े हाथ पैर नहीं है
गरीब गवारों और किसानो की मदद के लिए !
खाली पेट ही बड़ा है बस
No comments:
Post a Comment